Friday, September 12, 2008

अब बदलिए हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्य

पूरी दूनिया में हिन्दी के लिए जो स्िथियाँ बन रही हैं, वह काफी सुखद हैं । आज भारत में सबसे ज्यादा हिन्दी अखबार पढ़े जा रहे हैं । सबसे ज्यादा हिन्दी टेलिविज़न चैनल देखे जा रहे हैं । लोकप्रिय हो रहे एफ रेडियो चैनल भी हिन्दी में हैं । हिन्दी बोलने वालों की संख्या भी लगातार बढती जा रही है । बहुत बड़ी संख्या में हिन्दी में ब्लॉग लिखे जा रहे हैं । सरकारी कामकाज में भी हिन्दी का प्रयोग बढ़ा है । बाजारवाद के दबाव में एक बडे वर्ग का हिन्दी को अपनाना मजबूरी है । अनेक विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है । विदेशों से अनेक हिन्दी पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है । हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए हिन्दी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था । लेकिन मौजूदा स्िथियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि हिन्दी दिवस मनाने का यह उद्देश् तो काफी कुछ हद तक पूरा हो चुका है । हिन्दी का प्रयोग बढने के साथ ही अब उसके समक्ष कुछ संकट भी पैदा हो गए । इसलिए अब हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्बदल लेना चाहिए । आज विविध जनसंचार माध्यमों में जिस हिन्दी का प्रयोग किया जा रहा उसमें तमाम अिुद्धयां हैं । मीडिया का व्यापक प्रभाव होने के कारण ं आम जनता भी हिन्दी के इसी रूप को ग्रहण कर रही है । आज जो बोली जा रही है उसमें िुद्धों कि भरमार होती हैव्याकरण दोष भी रहता हैयह सिलसिला नहीं रुका तो इस महान भाषा के स्वरुप का ही संकट पैदा हो जाएगाइसलिए जरूरी है कि अब हिन्दी भाषा के मूल स्वरुप की रक्षा के लिए हिन्दी दिवस मनाया चाहिए हिन्दी दिवस पर शुद्ध हिन्दी बोलने और लिखने का संकल्प लेना चाहिएशुद्ध हिन्दी से आशय भाषा के क्लिष्ट रूप से नहीं हैदूसरी भाषाओँ के अनेक शब्दों को हिन्दी ने इस तरह आत्मसात कर लिया है कि वे अब हिन्दी के ही लगते हैंउनसे भी कोई परहेज नहीं हैहाँ, यह जरूर होना चाहिए कि हिन्दी के शुद्ध रूप में ही शब्दों को लिखा और बोला जाएएक शब्द जब कई तरीके से लिखा और बोला जाने लगता है तब कई लोगों के समक्ष भ्रम पैदा हो सकता हैखास तौर से बच्चों के समक्ष यह एक बडे संकट का रूप ले लेता हैएक ही शब्द जब कई अखबारों में अलग अलग से छपता है तो उन्हें यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा शब्द सही है । इसलिय हिन्दी को प्रभावशाली बनाये रखने के लिए इसके मूल रूप कि रक्षा जरूरी हैअब हिन्दी दिवस पर हमें इसी ओर धयान देना चाहिए

7 comments:

रंजन राजन said...

प्रियरंजन जी।
आपके विचार सारगर्भित और विचारणीय हैं। हिंदी को राष्ट्रभाषा का दरजा दिलाने के लिए सोचना जरूरी है।
इसी मुद्दे पर अभी मैंने भी एक पोस्ट डाली है। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो टिप्पणी डालने वालों को सुविधा होगी।
http://gustakhimaaph.blogspot.com/2008/09/blog-post_13.html#links

rakhshanda said...

bilkul sahi kaha aapne, hamen sochna hoga.Word Verification ki badha hata den..

शोभा said...

हाँ आपकी विचारधारा सही है. मैं भी इस से सहमत हूँ. ऐसा जरुर किया जन चाहिए. सुंदर विचारों के लिए बधाई.

shelley said...

aapke vicharo se sahmat hu ye sahi hai ki ab hindi ka utsav manane ka samay samip hai. hindi ne tamam vighan badhao ko paar karte hua apne liye rasta bana liya hai or us raste par chal padi hai .

निर्मल गुप्त said...

priyaranjanjee,aapk blog shaandar
hai.congrats.nirmal

निर्मल गुप्त said...

good post.nirmal

प्रिया सिंह said...


Very informative and useful Post . lost of love And respect .

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