Thursday, May 14, 2020

डॉ. अशोक ने किया पुस्तक में महिलाओं का संघर्ष उजागर


साहित्यकार व पत्रकार डॉअशोक कुमार मिश्रा ने लाकडाउन का सकारात्मक उपयोग करते हुए साहित्य सृजन का महती कार्य किया । परिणामस्वरूप विगत दिवस उनकी पुस्तक प्रकाशित होकर साकार रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हो गई । एमाजान के इंटरनेशल प्लेटफार्म पर भारत और अमेरिका समेत 13 देशों में आनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध हुई इस पुस्तक कितनी लड़ाइयां लड़ेंगीं लड़कियां में मौजूदा दौर में महिलाओँ के संघर्ष, चुनौतियों और उनकी उपलब्धियों को उजागर किया गया है ।
मेरठ स्थित शिवशक्तिनगर निवासी डॉ. मिश्रा शामली के रुड़की इंजीननियरिंग और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में डीन हैं । वह आईएमएस नोएडा में मास्टर आफ जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट में प्रोफेसर और हेड आफ डिपार्टमेंट रहे हैं । उन्होंने कई वर्षों तक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में भी पढ़ाया है । पत्रकारिता और जनसंचार, हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा पर उनके 23 शोधपत्रों और विविध विषयों पर 100 से अधिक आलेखों का प्रकाशन हो चुका है ।
कितनी लड़ाइयां लड़ेंगीं लड़कियां पुस्तक  समसामयिक समाज में महिलाओँ की स्थिति को रेखांकित करती है । स्त्री विमर्श पर केंद्रित इस पुस्तक में डॉ.  मिश्रा ने समकालीन समाज में महिलाओं की स्थितियों का विश्लेषण करते हुए इस दिशा में किए जाने वाले सरकारी, गैरसरकारी और महिला समाज प्रयासों को रेखांकित किया है । महिलाओं की विविध समस्याओँ और उनसे संबद्ध प्रश्नों की पड़ताल की गई है । अपने अधिकारों को पाने की लालसा और इस दिशा में किए जा रहे लड़कियों और महिलाओँ के सार्थक प्रयासों को पुस्तक में मुखर किया गया है । वास्तव में यह पुस्तक समकालीन समाज का महत्वपूर्ण दस्तावेज है ।

1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

संक्षिप्त और सारगर्भित समीक्षा।