-डॉ. अशोक प्रियरंजन
राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर सभी भारतवासी उत्साहित हैं। इन खेलों से देश का गौरव बढ़ेगा। बड़ी संख्या में आने वाले विदेशी मेहमानों को भारतीय संस्कृति से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा। ऐसे में जरूरी है कि वह यहां की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा हिंदी से भी साक्षात्कार करें। इसकेलिए जरूरी है कि राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी समस्त भाषिक सामग्री हिंदी में भी उपलब्ध हो। इसकेलिए एकजुट होकर प्रयास होने चाहिए। मेरठ से बीती सात जुलाई को राजभाषा समर्थन समिति ने इसकेलिए मुहिम शुरू की। विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी के प्रयासों से बृहस्पति भवन में आयोजित कार्यक्रम में सांसद राजेंद्र अग्रवाल समेत अनेक हिंदी प्रेमी वक्ताओं ने राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी को बढ़ावा देने की मांग जोरदार तरीके से उठाई।
अब २७ को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सम्मेलन
दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में २७ जुलाई को सायं साढ़े पांच बजे आयोजित हिंदीसेवियों के सम्मेलन में इस मुहिम को आगे बढ़ाने की रणनीति बनेगी। समिति ने ज्यादा से ज्यादा लोगों से आयोजन में शामिल होने की अपील की है।
मुख्य मांग
खेलों में हिन्दी भाषा का प्रयोग विज्ञापनों/होर्डिंग्स/सरकारी प्रपत्रों तथा आयोजक संस्थाओं द्वारा अनिवार्यत: किया जाए, जिससे देश की गरिमा का आभास दुनियाँ को हो। न्यूयार्क में संपन्न आठवें अन्तरराष्ट्रीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ करने तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने का अभियान प्रमुखता से लिया गया था । यह अवसर है कि हम उस विशिष्ट अवसर पर लिए गए संकल्प को लागू कराएँ।
राष्ट्रमण्डल खेल और हिन्दी की संभावनाएं
1. जब चीन में ओलंपिक खेलों के दौरान चीनी भाषा का प्रयोग हो सकता है तो भारत में आयोजित खेलों की नियमावली और होर्डिंग्स, सूचनाओं का आदान-प्रदान, प्रसारण तथा सरकारी एवं आयोजक संस्थाओं के प्रपत्रों का लेखन हिन्दी में क्यों नहीं हो सकता।
2. आयोजन में आने वाले गैर हिन्दी भाषी खिलाडिय़ों और प्रतिनिधियों को अनुवादक उपलब्ध कराए जा सकते हैं। जैसा कि प्राय: हर अन्तरराष्ट्रीय आयोजन में अन्य भाषा-भाषी लोग करते हैं।
3. राष्ट्रमण्डल खेलों में हिन्दी के प्रयोग द्वारा हम भारत की छवि को पूरी दुनियाँ के सामने मजबूती के साथ स्थापित कर सकते हैं।
4. यदि हम राष्ट्रमण्डल खेलों में हिंदी प्रयोग करते हैं तो अनुवादकों की आवश्यकता पड़ेगी। इससे अनुवादकों को रोजगार प्राप्त होगा।
5. राष्ट्रमण्डल खेल हिन्दी भाषा के लिए बड़ी संभावनाओं को खोल सकते हैं, अगर हम हिंदी का इन खेलों के दौरान अधिक से अधिक प्रयोग करेंगे। इससे विदेशी लोगों का भी हिन्दी के प्रति आकर्षण बढ़ेगा तथा इससे हिंदी के शिक्षण, पठन-पाठन की विदेशों में भी संभावनाएं बढ़ेंगी।
6. अनुच्छेद 344 के अनुसार राष्ट्रपति हिंदी भाषा की बेहतरी के लिए भाषा आयोग का गठन करेंगे। राष्ट्रमण्डल खेल भारत में हो रहे हैं, परन्तु हिन्दी भाषा को संवर्धित करने के लिए संविधान में दी गई भाषा संबंधी व्यवस्था का पालन नहीं हो रहा है, ऐसे में जरूरी है कि जन जागृति द्वारा प्रबुद्ध नागरिक राष्ट्रमण्डल खेलों में हिन्दी के प्रयोग को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित करें।
7. राष्ट्रमण्डल खेलों में हिन्दी के प्रयोग द्वारा हम उस रूढ़ मानसिकता पर भी चोट कर सकते हैं जो अंग्रेजी के प्रयोग द्वारा निज विशिष्टता सिद्ध करती रही है, यह हिंदी के भूगोल और मानसिकता को परिवर्तित करने का अवसर भी है।
समिति संपर्क सूत्र
राजभाषा प्रयोग के इस क्रान्तिकारी अभियान को परिणाम तक पहुँचाने के लिए राजभाषा समर्थन समिति व्यापक जनसहयोग चाहती है। आयोजन से जुड़े हुए सरकारी विभागों एवं संस्थाओं से भी आग्रह किया जाना चाहिए। समिति समपर्क सूत्र हैं -
नवीन चन्द्र लोहनी एवं समस्त साथी, राजभाषा समर्थन समिति,
हिन्दी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ (उ0 प्र0) मो.नं. 09412207200/09412885983/9758917725/9258040773/9897256278
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
क्रान्तिकारी अभियान-शुभकामनाएँ.
अरे अरे आप केसी बाते करते है..... यह आयोजन जिसे कामन वेल्थ का नाम दिया गया है सब गुलाम देशो का आयोजन है फ़िर इस मै मेरी हिन्दी के लिये कहां जगह होगी... आप देखे तो सही सब ओर गुलामो के राजा की भाषा ही विराज मान होगी.. अगर थोडी भी शर्म होती तो इस आयोजन को किसी ओर नाम से करते इस ** कामन वेल्थ** जेसे लानती नाम से ना करते
अशोक जी मैं आपकी भावनाओ और उदेश्य का पूर्ण रूप से समर्थन करता हूँ और साथ ही राज भाटिया जी के तर्क को भी उचित ठहरता हूँ!
Post a Comment