-डॉ. अशोक प्रियरंजन
आत्मविश्वास की कमी के चलते अब हजारों लोग जिंदगी की जंग हारकर मौत को गले लगा लेते हैं । आत्महत्या की बढती घटनाएं समाज के विविध वर्ग के लोगों के जीवन में बढ़ रही निराशा, संघर्ष करने की घटती क्षमता और जीने की इच्छाशक्ति की कमी की ओर संकेत करती हैं। २००७ में करीब २७५० लोगों ने खुदकुशी की जबकि २००६ में ३०९९ लोगों ने मौत को गले लगा लिया । बीते छह सालों में अकेले उत्तर प्रदेश में आत्महत्या का औसत ३४०० रहा है ।
मौजूदा समय के भौतिकवादी माहौल ने लोगों की महत्वाकांक्षाओं और अपेक्षाओं को काफी बढा दिया है। अब आदमी के अंदर अच्छा घर, कार और आधुनिक जीवन की सभी सुख सुविधाएं हासिल करने की लालसा बढती जा रही है । वह अपने सपनों को जल्द पूरा करना चाहता है । सपने टूटते हैं और अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं तो आत्मविश्वास की कमी के चलते लोग जिंदगी से मायूस हो जाते हैं । बडी संख्या में युवाओं का जीवन के प्रति मोहभंग होना पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है । देश में हर साल करीब २४०० छात्र परीक्षा के तनाव या फिर फेल होने पर खुदकुशी कर लेते हैं । कभी प्रेम में निराशा मिलने पर तो कभी अर्थिक तंगी या गृहकलह आत्महत्या की वजह बन जाती है ।
दरअसल, जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास की शक्ति सर्वाधिक आवश्यक है । आत्मविश्वास के अभाव में किसी कामयाबी की कल्पना नहीं की जा सकती है । आत्मविश्वास के सहारे कठिन से कठिन लक्ष्य को प्राप्त करना भी सरल हो जाता है । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आत्मविश्वास के सहारे ही ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया । यह उनका आत्मविश्वास ही था जिसके सहारे उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराया । आत्मविश्वास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-आत्म और विश्वास । यहां आत्मा से आशय अंतर्मन से है । विश्वास का अर्थ भरोसा होता है । वस्तुत: अंतर्मन के भरोसे को ही आत्मविश्वास कहते है ं। आत्मविश्वास मनुष्य के अंदर ही समाहित होता है । आंतरिक शक्तियों को एकीकृत करके आत्मविश्वास को मजबूत किया जा सकता है।
आत्मविश्वास को जागृत करके और मजबूत बनाकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता अर्जित की जा सकती है । सत्य, सदाचार, ईमानदारी, सहृदयता आदि मानवीय गुणों को धारण करके आत्मविश्वास का संचार किया जा सकता है । आत्मविश्वास से भरे विद्यार्थी परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं । रोजगार और व्यवसाय में भी उन्नति के शिखर पर पहुंचने का आधार आत्मविश्वास ही होता है । बडी से बडी समस्या भी उन्हें जिंदगी में आगे बढऩे से नहीं रोक सकती। आत्मविश्वास से दैदीप्य व्यक्तित्व ही समाज को नई दिशा देने में समर्थ होता है । वास्तव में आत्मविश्वास की शक्ति अद्भुत होती है ।
प्रत्येक मनुष्य को सदैव आत्मविश्वास को मजबूत बनाए रखना चाहिए तभी वह जीवन में उन्नति कर सकता है । जिंदगी से मायूस हुए लोगों को ढाढस बंधाने का काम परिजनों अथवा उनके निकट के लोगों को करना चाहिए । बातचीत के माध्यम से निराशाजनक स्थितियों से गुजर रहे मनुष्य के अंदर जीने की इच्छाशक्ति को मजबूत किया जाना चाहिए । विविध प्रेरणादायक प्रसंगों की जानकारी देकर उन्हें जीवन के संघर्ष से घबराने के बजाय मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए । उनके मन से निराशा का अंधेरा छंट गया तो निश्चित रूप से उनमें जीवन के प्रति ललक जागृत होगी । उनमें आत्मविश्वास उत्पन्न होगा तो वह वह भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे पाएंगे ।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)
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105 comments:
sahi kaha aapne, aabhar.
bahut hi achcha aur suljha hua lekh hai.sach likha hai aap ne- aatm vishwas hi sab se badi taqat jo safalta ki aur le jati hai.
सही लेख है |
हमारे समाज में आत्महत्या की बीमारी बढ़ रही है लोगों को जागृत करने के लिये अच्छा प्रयास है...
प्रेरणादायी और जानकारी बढाने वाला लेख रहा .ईश्वर करे लोग इससे लाभान्वित हों . आभार .
जिन्दगी की तरफ सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास को प्रोत्साहित करता एक सुंदर लेख है ,
regards
ek achchha lekh ,jisase ham sabhi labh utha sakate hain
aatmvishwas ko jagrat karne vale lekh ke liye aapka aabhar
mere blog par aap sadar aamantrit hain
चायघर में पधारने के लिए धनयवाद
आत्मविश्वास हो तो जिंदगी की हर जंग जीती जा सकती है।
Aap sahi kehte hain...mujhe ittela deneke liye dhanyawad...hame eemandareeki hamesha zyada qeemat chukanee padti hai...khuddareeki us sebhi zyada...atmvishwaas ho tabhi insaan khuddar aur eemandaar ban sakta hai...warna jab kasautika samay aata hai to man aur eeman dono dol jaata hai...
Mere blogpe aaj ek post likh rahi hun...insaan kis hadtak asamvedansheel ho sakta hai, iski ye misaal hai...zaroor padhiye aur apne dostonko bhi ye baat batayen to badi shukrguzaar rahungi aapki...
Doctor saheb Niraashaavaadee rachnaakaar Seemaa guptaa sareekhee rachnaakaar bhee aapke aashaa vaadee ,sakaaraatmak vichaardhaaraa ki taareef kar rahi hain .vaakayee aap saadhuvaad ke paatr hain .jhallevichaaraanusaar aashaavaad yaa sakaaraatmak soch koi button on kar dene bhar se hee nahin aa jaatee .iske liye rishiyon, muniyon ki khoj YOG aaj bhee ek Laabhkaaree oopaay ho saktaa hai.
बहुत उपयोगी लेख है. ऐसे ओजस्वी विचार लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन बदल सकता है.
ज़िंदगी ईश्वर की नियामत है । हर शाख्स का संसार में आने के पीछे कोई ना कोई मकसद होता है । खुदकुशी कुदरत के नियमों का उल्लंघन है आपका आलेख जीवन के प्रति उमंग जगता है । बधाई.... ।
डाक्टर साब आपसे सहमत हूँ,मगर तनाव इतना हावी है कि अब परिवार चलाने वाला मुखिया नही बल्कि बच्चे भी आत्महत्या पर उतारु है,.आप ने सही कहा इससे बचा सकता है हमें तो सिर्फ आत्मविश्वास.
आपके द्वारा दिया गया आंकडा तो वाकई स्तब्ध कर देने वाला है मैं तो ये कहूँगा के वो कीस दर्जे अपनी आपा खो बैठते है और मौत कोई गले लगा लेते है ,कुछ जगह पे तो ये एक तरह के मनोरोग से सम्बन्ध रखता है .. मगर आपका लेख अत्मबिश्वास से लबरेज कर देने वाला है .. बहोत ही सुदर लेख लिखा है आपने... इसके लिए आपको ढेरो बधाई इसके साथ साथ आप मेरे ब्लॉग पे आए आपका ढेरो स्वागत है,एक नै ग़ज़ल लिख रहा हूँ आपका स्नेह और आशीर्वाद चाहूँगा....
आभार
अर्श
आपका कहना ठीक है, आत्मविश्वास हो तो इंसान एवरेस्ट की ऊँचाइयों को भी छू सकता है
सकारात्मक सोच से बहुत हद्द तक इस प्रवर्ती को रोका जा सकता है
आत्म विश्वास तो अंधे की वह लाठी है जिससे दुर्गम से दुर्गम पथ भी पार किया जा सकता है। सकारात्मक सोच और आत्म विश्वास किसी को भी अपना लक्ष्य पूरा करने में सहायक होते हैं।
सुंदर लेख। आभार।
आदरणीय डॉक्टर साहब
आपने बहुत अच्छा विषय उठाया है समाज की भलाई के लिए .
चौंकाने वाले आंकडे हैं .लोगों की आँखें खोलने के लिए काफी हैं .
मेरे विचार में अब समय आ गया है कि अभिभावकों की भी कौन्सिलिंग हो |
मन से निराशा का अंधेरा छंट गया तो निश्चित रूप से उनमें जीवन के प्रति ललक जागृत होगी
... अत्यंत प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है, शिक्षाप्रद व प्रेरणादायक लेख है, मन से अन्धेरा छट गया तो निश्चिततौर पर उजाला आयेगा।
उनके मन से निराशा का अंधेरा छंट गया तो निश्चित रूप से उनमें जीवन के प्रति ललक जागृत होगी । उनमें आत्मविश्वास उत्पन्न होगा तो वह वह भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे पाएंगे ।
vartmaan mein aap ek vicharak or chintak hai aapko jaanna or padhna fakr ki baat hai ni:sandeh aapke vichar aaj ke yuva varg ke liye path pradarshak hai.aaj samaj or desh mai chaaye andheron ko door karne ke liye aap jaise mashal jalane valo ki jarurat hai jo samaj ko ek nai roshni dene ke liye samarpit hai.
Aapki baat se sahmat hoon.
आपने बहुत अच्छा लिखा है , ये ठीक है कि जिन्दगी कि जंग को सिर्फ़ आत्मविश्वास के सहारे ही जीता जा सकता है , मगर तनाव असली कारण है जो अवसाद को बढ़ाने में आग में घी का काम करता है ; आत्म विश्वास की कमी की वजह से हम वस्तुस्थिति का सामना करने की बजाए , उससे भागना चाहते हैं , बस यहीं से अवसाद शुरू होता है |
तनाव से बचने के लिए मन को शांत रखना भी जरुरी है | न हार जाएँ जिन्दगी की जंग को , सपनों को सजाना पड़ता है , किस किस को लाना है सपनों में , सपनों को बताना पड़ता है |
atmvishvas apnay bheetar say upajta hai.atmhatya ka vichar aik manogranthi hai,iska elaz kisi aur beemari ki tarah say hona zaroori hai......nice writeup.nirmal
सहमत हूँ आपसे... आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है, और असफलता से जूझने का मूलमंत्र भी...!!! हम जैसे युवा को यह सिर्फ़ समझना ही नहीं चाहिए, बल्कि यह भी जानना चाहिए कि प्रेम या फ़िर परीक्षा की असाफलता से ज्यादा मायने रखती है आपकी जिन्दगी, और उसका ध्येय... जो कि इन सबों से कहीं ऊपर होना चाहिए...!!!
अच्छा लेख है __जिन्दगी की जीत की भी सच्ची कहानियां लिखिए !
बहुत बढिया आलेख लिखा है आपने - आत्म विश्वास से तो ऊँचे से ऊँचा पहाड भी चढ जाते हँ लोग -
कभी दुख मेँ वही एक सँबल देने लायक बचा रहता है " सर सलामत तो पगडी हज़ार "
- लावण्या
सामयिक चिंतन से परिपूर्ण आपका आलेख बड़ा ही सटीक बन पड़ा है बधाई बंधुवर.
वास्तव में किसी भी जंग को जीतने के लिए आत्मविश्वास की नितांत आवश्यकता होती है। प्रेरक लेख के लिए बधाई।
kafee prernadayee aalekh.nirash logon ke liye aushdhi aur ashawanon ke liye urja-srot. agle aalekh kee pratikcha rahegee.
Dhanyawad.
Ranjit
bahut accha likha hai aapne...kaafi utsaah wardhak and prerna ka srrot hai....
bahut sahi keha ashok ji aapne. maafi chaunga kuch der se padh paya aapka message. achcha likhte hain aap.
bada prernadayak lekh raha .......saabhar
swati
saarthak aalekh hetu aabhaar.
Atmvishwas ke bina kuch bhi possible nahi hai.
बिल्कुल सही लिखा आपने। यदि व्यक्ति अपना आत्मविश्वास खो देता है, तो उसकी ज़िन्दगी में कुछ भी शेष नहीं रह जाता है। परिणामस्वरूप वह घोर निराशा का शिकार हो जाता है और कई बार आत्महत्या को भी उद्धत हो जाता है। मैंने भी आत्मविश्वास को बनाये रखने को लेकर एक लेख लिखा है जो की मैं कल अपने ब्लॉग http://www.chughli.blogspot.com पर डालूँगा। कृपया पढ़कर अपनी टिपण्णी देना न भूलें।
बेहद प्यार और सम्मान के साथ...
चैतन्य चंदन...
बहुत अच्छी पोस्ट लिखी आपने.ओर आपके द्वारा दर्शाये गए आंकडे तो सचमुच हतप्रभ करने वाले हैं.
ईश्वर से कामना करूंगा कि आप भविष्य में भी इसी प्रकार समाज को जागरूक करने मे अपना सहयोग प्रदान करते रहें.
वास्तव में आत्मविश्वास हमें किसी भी परिस्थिति में उचित निर्णय लेने का साहस प्रदान करता है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है, वह अपने सामने आने वाले हर अच्छे अवसर को पहचान लेता है, और पूर्ण निष्ठा से कार्य करते हुए अपने सपनों को साकार करता है। ईश्वर हमें सदैव जीवन में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है, परन्तु जिसमें अपनी योग्यता का विश्वास न हो, उसके हाथ से अवसर निकल जाता है।
शुभकामनाऎं
खूब लिखें,अच्छा लिखें
आप बिल्कुल ठीक फरमा रहे हैं आत्मविश्वास और धीरज कभी नहीं त्यागना चाहिए, यह असली धन है!
आपने बहुत सही कहा है, लेकिन यह आत्मविश्वास मिले कहाँ से? आज कि पीढी के जिम्मेदार हमको बनना होगा. यह आत्मविश्वास हमें देना होगा आज के बच्चों को. घर पहली पाठशाला होती है और हमें नन्हे मुन्नों से ही यह काम शुरू करना होगा. जो अपने कदमों पर खड़े हो चुके हैं, उनको दिशा देना होगा और जो अभी खड़े होने के प्रयास में हैं उनमें भरनी होती यह भावना.
एक आत्महत्या ही नहीं, आज कि भटकती हुई पीढ़ी को अपराध , हिंसा और बीमार मानसिकता से भी बचाने की जो जरूरत है वह हम पूरी कर सकते हैं. काउंसिलिंग एक बहुत बड़ा साधन है हमारे पास. मनोवैग्यानिका तक्रिके से उनको आत्मविश्वास से भरना होगा. ऐसा नहीं है कि जो भटके हुए हैं वे वापस नहीं आ सकते हैं. वे और मजबूत तरीके से अपनी जंग लड़ने के लिए तैयार हो सकते हैं. बस इसके लिए प्रबुद्ध व्यक्तियों को संकल्प लेना होगा. अगर हमने अपने जीवन में दो चार लोगों को ही जिन्दगी कि जंग में साहस से लड़ने के लिए तैयार कर लिया तो हमारी सबसे बड़ी जीत होगी.
मेरे यह प्रस्ताव पर सभी विचर करें.
Rightly said....with confidence ,one can overcome the weak moments of life......
Apne bahut hi sajida vishay vishay ko uthaya hai. ise par ke mara kafi gyan bara hai.
itna prerak lekh , aur kisi ko kya chahiye , bus aapki likhi pankhtiyaan pad le ...
bahut badhai
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
bahut acchi post likhi hai aap ne badhai ... uva wakat se pahle sab kuch pa lene ki mahatvakansha puri nahin hone ki niraasha hi wajah hai ..
उम्दा सोच..गंभीर विषय पर सही चिंतन
www.pyasasajal.blogspot.com
अच्छा लेख लिखा है ..ज़िन्दगी जो मिली है उसको सही ढंग से जीना चाहिए
truly inspiring. success can never be imitated or borrowed, it comes from our inner strength & confidence. No one is perfect, but the winner capitalises on his strength & doesn't let his weakness come in the way to success. we just need to introspect & be confident in ourselves. aaj nahi to kal, safalta hamari mutthi me hogi.
सही कहा आपने। खासकर आज के समय में बेहद प्रासंगिक। आत्मविश्वास के बिना कुछ नहीं हो सकता।
प्रेरणादायी ,सकारात्मक लेख.
acha sochna jaroori hai. jab vyakti khud ko aatmswikrati pradan karta hai, tabhi aatmhatha karta hai. badhayi acha lekh lkha aapne.
सटीक आलेख बधाई जी
sach hai,aatmvishwaas ke bagair kisi raah par badhna mumkin nahi,aatmvishwaas hi jeet ki,hausle ki kunji hai.......
sahi kaha aapne
भाई अशोक प्रियरंजन जी
सादर नमस्कार
"आत्म विश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग" एक यथार्थपरक आलेख है, जिसमें सकारात्मक सोच का पुट भरा हुआ है,जो हर उम्र के लोगों को विश्वास की और प्रेरित करता है.
आपके आलेख में अनेक सकारात्मक सूत्र उभर कर आए हैं -
अपेक्षाएँ पूरी नहीं होती हैं तो आत्मविश्वास की कमी के चलते लोग जिंदगी से मायूस हो जाते हैं ।कभी प्रेम में निराशा मिलने पर तो कभी अर्थिक तंगी या गृहकलह आत्महत्या की वजह बन जाती है। आत्मविश्वास के अभाव में किसी कामयाबी की कल्पना नहीं की जा सकती है । सत्य, सदाचार, ईमानदारी, सहृदयता आदि मानवीय गुणों को धारण करके आत्मविश्वास का संचार किया जा सकता है ।जिंदगी से मायूस हुए लोगों को ढाढस बंधाने का काम परिजनों अथवा उनके निकट के लोगों को करना चाहिये . आत्मविश्वास उत्पन्न होगा तो भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे पाएंगे .
आपका
- िजय
naye saal ki hardik subhkamnayein.
अरे वाह कितनी सुंदर बात आप ने लिखी, ओर मेरे आस पास भी रहे लेकिन मै पढ नही पाया, संघर्श करने वाले लोग ही मंजिल को पाते है, ओर जो आत्म विश्वास के सहारे जीते है,वही जिन्दगी के हर रंग को देख भी पाते है, बहुत सुण्दर लगा आप का लेख. धन्यवाद
नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!
"नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
regards
सचमुच आत्मविश्वास के जरिए ही जीवन मे सफलता के नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं.बहुत अच्छा लिखा है
आपको एवं आपके समस्त मित्र/अमित्र इत्यादी सबको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎं.
ईश्वर से कामना करता हूं कि इस नूतन वर्ष में आप सबके जीवन में खुशियों का संचार हो ओर सब लोग एक सुदृड राष्ट्र एवं समाज के निर्माण मे अपनी महती भूमिका का भली भांती निर्वहण कर सकें.
First of all Wish u Very Happy New Year...
BAhut sundar lekh.. aise lekho ki aaj ke samaj me jarurat hai
Bahut bahut badhai...
बहुत ही अच्छा लिख हैं आपने,आत्मविश्वास हो तो जिन्दगी की हर कठिन जंग जीती जा सकती हैं ,नववर्ष की बधाई
कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
कुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
nav varsh ki hardik shubhkaamnaye..
नव वर्ष २००९ आपको मंगलमय हो
आपका साहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
प्रदीप मानोरिया
09425132060
भाई अशोक जी ,पहले तो नव वर्ष और इस सम सामायिक लेख के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाये,आत्म विशवास की जिस कमी के चलते आपने युवा वर्ग पनपी जिन प्रवृतियों की और आपने इंगित किया है और जिन कारणों का विश्लेषण किया है,बेहद महत्वपूर्ण है ..भोपाल मैं तो इस तरह की एन .जी ओ ,हैं जो आत्म ह्त्या करने वालों को बचाते हें ..मेरा तो यही कहना है की इस दुनिया मैं अपने हक़ के लिए डट कर मुकाबला करता है
डाक्टर साहेब आपको नए साल की बधाई हो |
अशोक जी,
आपको, आपके परिजनों और आपके मित्रों और परिचितों को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं. ईश्वर आपको सुख-समृद्धि दे!
अनुराग शर्मा
भाई वाह। कहते हैं कि-
तुमको खुले मिलेंगे तरक्की रास्ते।
पहला कदम उठाओ लेकिन यकीन से।।
नहीं तो -
कदम कदम पर मुकद्दर को कोसने वाले।
कदम बढ़ाने की कोशिश कभी नहीं करते।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!
आत्म विश्वास पर बहुत अच्छा आलेख
सही लिखा है आपने। परन्तु आत्म विश्वास की कमी के सामाजिक-आर्थिक आधारों को भी समझना ज़रूरी है।
...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
डॉ अशोक जी
प्रथम बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ इस आलेख के अतिरिक्त अन्य लेख और कविता पर दृष्टिपात किया. आपका प्रयास अभिनंदनीय .. आने वाली पीढी को हमें बहुत कुछ देना है... जो मिला हमें अपने समय में. निरंतरता की सतत प्रक्रिया के इस दीप को हम सब मिलकर प्रज्वलित करते रहें इसी आशा के साथ नव वर्ष की शुभ मंगल कामना
बहुत बढ़िया रचना ! जीवन के अमूल्य बोले लिखे हैं आपने !शुभकामनाएं !
नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।
बहुत सुंदर प्रेरणा दायक लेख आपको नव वर्ष की शुभ कामनाएं
बहुत ही प्रेरक आलेख।
लाज़बाब इससे अधिक कुछ कहना अशक्य है
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
Bahut sahi kaha aapne aatmvishvas agar ho to manjil bhi dur nahi hoti..badhai
मैं मुंबई के एक रेलवे स्टेशन पर खड़ी थी, वहीं के ट्रैक के पास एक quotation लिखा था.."Suicide is the permanent solution of temporary problems". ना जाने किसी ने इस विचार को गहराई से कभी समझा हो या नहीं, मगर बात बोहोत सही लगी थी. आपका लेख पढ़कर बही विचार नए अंदाज़ में सामने आया.
आपने जो आंकडे बताये हैं, वो दिल देहला देने वाले हैं. क्या हिन्दी चिटठा-जगत के सजग लेखक कुछ पंक्तियाँ (नारे / quotations/ messages etc) मिलकर लिख सकते हैं जिन्हें हम स्कूल कालेजों, suicide spots आदि पर पोस्टर के रूप में लगा सकें? अपनी लेखनी को किसी अच्छे कार्य में लगाने का अच्छा अवसर होगा....और मैं अपने graphic design skills का भी उपयोग कर सकती हूँ...क्या विचार है?
बहुत ही अच्छी बात बतायी है आपने. एक बार नेपोलियन के बारे में पढ़ रहा था (संभवतः सभी ने पढ़ा होगा )--
नेपोलियन जिस स्कूल में था वहां सामंतो के कुछ बच्चे भी पढ़ते थे. वे आपस में ही घुलते मिलते थे क्योंकि दूसरों को वे हीन समझते थे. एक बार किसी कारणवश जब वे नेपोलियन से दोस्ती करना चाहे तो नेपोलियन ने मना कर दिया. उन्हें बहुत ही आश्चर्य हुआ की एक आम लड़का उनसे दोस्ती नही करना चाहता और उन्होंने कारण जानना चाहा तो नेपोलियन ने कहा - "तुम लोग दूसरों से इसलिए नही मिलना चाहते क्योंकि तुम सामंतों के बेटे हो और मैं तुम लोगों से नही मिलना चाहता क्योंकि मैं इस देश का भावी सम्राट हूँ".
आत्मविश्वास मनुष्य की सफलता का सबसे बड़ा संबल होता है.
विविध प्रेरणादायक प्रसंगों की जानकारी देकर उन्हें जीवन के संघर्ष से घबराने के बजाय मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए ।काफ़ी अच्छा संदेश दिया है आपने हमारे युवा वर्ग को ....
प्रेरणादायी लेख .
बहुत ही सकारात्मक लेख है सर....धन्यवाद!!
बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति है आपकी.
युवा शक्ति को समर्पित हमारे ब्लॉग पर भी आयें और देखें कि BHU में गुरुओं के चरण छूने पर क्यों प्रतिबन्ध लगा दिया गया है...आपकी इस बारे में क्या राय है ??
और कितना इंतजार कराएँगे? जल्दी से कुछ नया लिखिए.. :)
प्रेरणादायी और जानकारी बढाने वाला लेख है.
बहोत सही कहा है आपने इस लेख मे। जितना आत्मविश्वास ज्यादा होगा उतना मनुष्य आगे बढता है। चाहे किसी भी क्षेत्रमे हो। कई बार तो क्षेत्र बदलनेसे भी आत्मविश्वास हो तो कामयाबी मिल सकती है। "मन मे हो विश्वास, पुरा हो विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन..." यह पंक्तिया सार्थ होती है।
सही लिखा है आपने मैं आपसे सहमत हूँ , यह आंकडे चौंकाने वाले हैं हम सभी को इस पर इस पर विचार करने और समझने की ज़रूरत है। हमें आकांक्षा, महत्वाकांक्षा और उच्चाकांक्षा के बीच के बारीक से अन्तर को समझना होगा। तभी जीवन के लक्ष्य का निर्धारण किया जा सकता है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए आत्मविश्वास अत्यावश्यक है और इसे मज़बूत करने के लिए हमें हमारी नयी पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देना होगा, उन्हें नए अवसर प्रदान करने होंगे साथ साथ उन्हें पर्याप्त स्वतंत्रता भी देनी होगी तभी हम उन्नत और विकसित भारत की कल्पना को साकार होते देख पायेंगे।
bahut khoob kaha aapne..
इस भौतिक जगत में महत्वकांशाओ का बहुत महत्व है, कई लोग अति महत्वकांशी होते है, और इस भाग दौड़ की जिंदगी में परेशां से रहते है। ऐसे लोगो के साथ हमें सहानभूति पूर्वक रवय्या अपनाना चाहेये आपका लेख अच्छा लगे और महत्वपूर्ण है.
धन्यवाद
dhanyavad. apko meri kavita 'dukh ki mahima' achhi lagi. maine apki kriti dekhi,bahut achha vishay hai. is vishay ko logo tak pahuchana aur mahsus karwane ka jimma apne liya. abhari hu.
shruty
बहुत सुन्दर आलेख.. सच है, आत्मविश्वास होने पर ही हम ज़िन्दगी की तमाम लडाइयां लड पायेंगे,जो कदम-दर-कदम मौज़ूद हैं.बधाई.
jo mahaul desh aur samaj ka hai, wo achanak naheen bana hai balki aek zamana guzar gaya ise ham par lade huye. Shiksha (degree naheen) bahut zaroori hai, warna jo ho raha hai wohi hota rahega. Ab doosra GANDHI naheen anewala, ham ko hee age ana hoga. Wichaar bahut achchhe hain.
सच ही कह रहे है सर आप आपका ब्लाग पढने के बाद मेरे अंतरमन को शांती का आभास हो रहा है ।
मैने हाल ही में पत्रकारिता की पढाई पूरी की है और अब internship के लिए कार्यरत हू । यदि आप मेरी कुछ मदद कर सके आशा है आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....आभार
सच ही कह रहे है सर आप आपका ब्लाग पढने के बाद मेरे अंतरमन को शांती का आभास हो रहा है ।
मैने हाल ही में पत्रकारिता की पढाई पूरी की है और अब internship के लिए कार्यरत हू । यदि आप मेरी कुछ मदद कर सके आशा है आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....आभार
प्रेरक आलेख।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?
Self confidence or Atmavishwas ki kami ke karan hi aaj ka yuva varg disha-heen ho kar tute patte ki tarah yahan-wahan bhatak raha hai.. media ek sashakt madyam hai soye atmvishwas ko jagane ka magar afsos ki media ko chahiye sirf chatpate aur masaledaar programme jo na to samaj ko sahi disha dikhate hain na hi koi jagriti paida karte hain.. phir bhi apne koshish ki aag ke samandar mein kuchh bunde samjhdari ki daal kar ummeed hai kuchh to umas kam hogi..
बहुत अच्छा लिखा है आपने .बधाई
sir aapne aisa likha hai maano sacchai ke darshan ho gaye ho. sir media me mere career ki yeh shuruaat hai isliye main aaapke kisi article comment karne ke laayak nahi hu.
sir aapne aisa likha hai maano sacchai ke darshan ho gaye ho. sir media me mere career ki yeh shuruaat hai isliye main aaapke kisi article comment karne ke laayak nahi hu.
bahut accha lekh.... aatmvishwas nahi to kuch bhi nahi.....vipreet paristhitiyon se ladna.. ladkhadana aur phir hausla kar khada hona.... aisa sirf atmvishwas se hi sambhav hain
namaskar sir,
aaj aapki ye post padha , man koi choo gayi aapki baat . aapne bahut accha likha hai aur shabdo ke sahaare aatmbal ko nahyi abhivyakti di hai ..
aapke lekhan ko salaam ..
meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
aapka
Vijay
ye jeevan hai kathin,ae pathik dhairy rakh...tujhe chalna hai abhi aur na itni aasani se thak...bahut accha likha hai aapne...man ka diya jalta hai..tab tak hi jeevan chalta hai..isko jalaye rakhna hi hai...
dhanywaad!
सच कहा है आपने।आत्मविश्वास से ही जीत है।
Thanks
Thanks
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