
२५ जुलाई को १७८ महिलाओं ने देश में नया इतिहास रच दिया। इस दिन पहली बार सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में शामिल होने के लिए १७८ महिला जवानों के फस्र्ट बैच ने होशियारपुर के गांव खड़कां स्थित सहायक प्रशिक्षण केंद्र में पास आउट किया । यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि अब इन महिला जवानों के केकंधों पर देश की सीमाओं की सुरक्षा करने की महती जिम्मेदारी होगी । पिछले साल ११ जून को जब सुरक्षा बल के जालंधर स्थित मुख्यालय में महिला जवानों भरती आयोजित की गई थी तब भी महिलाओं के देशभक्ति के जज्बे की मिसाल सामने आई थी । यह गौरव का विषय है कि विषम परिस्थितियों में फौजी दायित्वों को निभाने केलिए साढ़े आठ हजार महिलाओं ने आवेदन किया था । इनमें से ही ४८० का चयन किया गया था। इनका प्रशिक्षण गत वर्ष १० नवंबर से शुरू हुआ था और ३६ सप्ताह के कड़े प्रशिक्षण के बाद अब यह जवान तैनाती के लिए तैयार हैं । इन कांस्टेबल को मुख्यत: ५५३ किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान सीमा पर मौजूद ३०० गेटों पर गेट के आरपार आने जाने वाली महिलाओं की तलाशी के लिए तैनात किया जाएगा । इसके अलावा जरूरत के अनुसार बीएसएफ के सामान्य कामों, आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी और आतंकवाद निरोधी आपरेशन में भी तैनात किया जाएगा ।
यह एक सुखद संकेत है कि फौज के प्रति लड़कियों का रुझान बढ़ रहा है । इसी केचलते अनेक छात्राएं एनसीसी कैडेट के रूप में प्रशिक्षण लेती हैं । सैन्य बलों में पिछले कुछ समय में बड़ी संख्या में हुई महिलाओं की भर्ती भी इसी का उदाहरण हैं । कुछ साल पहले तक सैन्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी नहीं होती थी। वे खुद भी इसे करियर के विकल्प के तौर पर नहीं लेती थीं। महिलाओं को शिक्षा, बैंकिग और सरकारी सेवा आदि क्षेत्र रोजगार केलिए बेहतर विकल्प लगते थे । लेकिन अब परिवेश बदला है। महिलाएं जोखिम भरे क्षेत्रों को भी सेवा और करियर केरूप में अपनाने लगी है। यही महिलाओं भविष्य में दुश्मनों केदांत खट्टे करके रानी झांसी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियों की पुनरावृत्ति करेंगी । दरअसल, सैन्य बलों में वही महिलाएं भर्ती हो पाती हैं जिनमें देशसेवा का जज्बा होता है । बीएसएफ में भर्ती होने वाली इन महिलाओं में निसंदेह यह जज्बा है, इसीलिए ही उन्होंने करियर केरूप में यह विकल्प चुना है । इनके इस शानदार जज्बे को सलाम ।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)