-डॉ. अशोक कुमार मिश्र
मेरठ जिले के सरधना क्षेत्र के गांव ईकड़ी ने एक नया इतिहास रच दिया है। इक्कीसवीं सदी में जिस देश के बहुत सारे गांव अभी भी विद्युतीकरण से वंचित हों, वहां ईकड़ी ऐसा गांव है जहां रात में बिजली जाने पर भी अब मुख्य मार्गों पर अंधेरा नहीं रहता है। रात में रोशन रहने के मायने में यह गांव देश के लिए मिसाल बनकर उभर रहा है। यूं तो मेरठ जिला कई चीजों केलिए मशहूर रहा है, कभी नौचंदी मेले के लिए, कभी कैंची तो कभी खेल के सामान केलिए। लेकिन पिछले कुछ समय से यह जिला अपराधों केलिए भी जाना जा रहा है। अपराधियों केलिए रात का अंधेरा वारदातों को अंजाम देने केलिए सबसे मुफीद समय होता है। गांवों में रात में बिजली न होने केकारण अपराधियों केहौसले बुलंद रहते हैं। वारदात के बाद अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी बेखौफ फरार हो जाते हैं। लेकिन ईकड़ी गांव में हुआ प्रयोग कामयाब रहा तो बदमाशों केलिए अब रात में वहां भागना मुश्किल होगा। इसकी वजह यह है कि गांव की स्ट्रीट लाइट बिजली गुल होने के बाद भी इन्वर्टर और बैटरी से जगमग रहेंगी। ईकड़ी शायद हिंदुस्तान का अकेला पहला ऐसा गांव है जहां स्ट्रीट लाइट केलिए इन्वर्टर और बैटरी का इंतजाम किया गया है। ग्राम प्रधान अंजना त्यागी ने फिलहाल मुख्य मार्गों पर तीन-तीन इमरजेंसी स्ट्रीट लाइटों के पांच सैट गांव में लगवाए हैं। अगर यह प्रयोग कामयाब रहा तो इनकी संख्या बढ़ा दी जाएगी। इससे गांव को एक फायदा यह भी होगा कि रात में ग्रामीणों को आवागमन में कोई परेशानी नहीं होगी। गांव के बाशिंदों में जहां सुरक्षा की भावना बढ़ेगी, वहीं उनकी जिंदगी की रफ्तार रात में भी सुस्त नहीं होगी। रोजमर्रा के कामकाज निपटाने में भी सहूलियत होगी। रात में पूरे गांव का हमेशा रोशन रहना और एक शानदार मिसाल बनकर उभरना दूसरे गांवों के लिए प्रेरणा का माध्यम बन सकता है।
( फोटो गूगल सर्च से साभार )
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17 comments:
अगर नेता अपना काम ठीक तरह अंजाम दे तो मेरा गाँव मेरा देश पूरा रोशन हो सकता है । यही साबित हो रहा है अंजना प्रधान जी के कुशल प्रबंध से।
मेरठ वालों की यह मिसाल प्रेरणास्त्रोत होनी चाहिए सभी देशवासियों के लिए... जनता अगर चाहे तो कुछ भी कर सकती है... अब तो जागना पड़ेगा... वर्ना जागने के लिए समय भी नहीं मिलेगा...
इस मिसाल से पूरे देश को सबक लेना चाहिये ईकडी वालों को बहुत बहुत बधाई।
प्रशंसनीय।
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भगवान के अवतारों से बचिए...
जीवन के निचोड़ से बनते हैं फ़लसफे़।
सराहनीय कार्य।
भारत की हर सड़कों-गलियों को प्रकाश से भरने की जरूरत है। उससे भी अधिक व्यक्ति के जीवन को ज्ञान के प्रकाश से भरने की है। अज्ञानता के कारण कुछ लोग चोरी करने को स्वरोजगार मान लेते हैं। सरकारी कुर्सी पर बैठा हुआ यदि कोई अधिकारी काम नहीं करता है तो वह भी एक प्रकार से चोरी है जिसे कामचोरी कहा जाता है।
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"डंडा" संत स्वभाव की, यही मुख्य पहचान।
दीप जला कर ज्ञान का, करते जन कल्याण॥
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
गाँव आज बिखरे हुए लोगों के समूह में बदलते जा रहे हैं। सामन्ती ढाँचा टूट रहा है। उस का स्थान लेने को नया ढाँचा चाहिए। ग्राम सभा और ग्राम पंचायत उन के नए रूप हैं। लेकिन अधिकांश गाँवों में चुने हुए प्रतिनिधि गाँव को संगठन बनाने में असफल रहते हैं।उस के स्थान पर मन में यह भाव रहता है कि किस ने उन्हें वोट दिया और किसने नहीं दिया। इस से गुट पनपते हैं।
जहाँ कोई निर्वाचित प्रतिनिधि इन चीजों को छोड़ कर गाँव में एकता स्थापित करता है वहाँ इस तरह की प्रगति देखने को मिलती है। यदि गाँव एक मजबूत संगठन में परिवर्तित होने लगें तो देश की राजनैतिक व्यवस्था को दुरुस्त कर सकते हैं।
salam karata hoo us vayakti jinone yah socha
प्रशंसनीय ...अंजना प्रधान जी को बधाई और शुभकामनायें ..
bahut sahi baat rakh rahe hain aap sabhi ke saamne ...!!
bahut khushi hui padhkar ...!!
अशोक जी,
आपके इस लेख को सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम के "काव्य मंच" पर लिंक किया जा रहा है |
प्रशंसनीय...इससे हम सभी को सबक लेना चाहिए..सुश्री अंजना त्यागी प्रधान जी को बधाई और शुभकामनायें..
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अत्यंत प्रशंशनीय
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