Monday, August 10, 2009

रचनात्मकता को विस्तार देते ब्लाग

-डॉ. अशोक प्रियरंजन
चंडीगढ की डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमेटी ने ब्लाग का जिस तरह से उपयोग करने की योजना बनाई है, वह दूसरे विद्यालयों के लिए अनुकरणीय हो सकता है । कमेटी ने तय किया है कि अब शिक्षक क्लास में तो पढ़ाएंगे ही, साथ ही रोजाना ब्लाग के माध्यम से छात्रों केसंपर्क में रहेंगे । इससे छुट्टी के बाद भी छात्रों की हर समस्या चुटकियों में हल होगी और बच्चों के मन से परीक्षा का डर भी खत्म होगा । ब्लाग जहां बच्चों को कोचिंग देगा वहीं उन्हें शिक्षकों का उचित मार्गदर्शन भी मिलेगा । शिक्षक भावनात्मक रूप से भी बच्चों से जुड़ सकेंगें। इससे बच्चों में निराशा का भाव पैदा नहीं होगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा ।
दरअसल, इंटरनेट की उपलब्धि से उपजे ब्लाग ने रचनात्मकता के विस्तार की अपार संभावनाओं को जागृत किया है । ब्लाग अर्थात बेब लॉग को इंटरनेट पर लिखी डायरी के तौर पर समझा जा सकता है। यह व्यक्ति के निजी विचारों को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम है। अनेक बेबसाइट निशुल्क ब्लाग बनाने और उसे संवारने की सुविधा उपलब्ध कराती हैं। ब्लाग में व्यक्ति स्वयं लेखक, प्रकाशक, संपादक और प्रसारक है। अपनी लिखी सामग्री को वह एग्रीगेटर्स के माध्यम से पूरी दुुनिया तक पहुंचाता है। एग्रीगेटर ब्लाग की जानकारी देने का प्लेटफार्म है। ब्लाग की खासियत यह भी है कि इसे किसी भी समय और कहीं भी सचित्र पब्लिश किया जा सकता है और पढ़ा जा सकता है । पाठक को इसमें कमेंट करने की सुविधा होती है । कमेंट करने वाले का फोटो भी प्रकाशित होता है । यह कमेंट ब्लाग लेखक के लिए प्रोत्साहन का माध्यम बनते हैं और उसे कुछ और लिखने की प्रेरणा देेते हैं।
ब्लाग ने पूरी दुनिया के रचनाकारों को एक सूत्र में बांधने का काम किया है। इसके माध्यम से उन लोगों को भी पहचान मिली है जो किन्हीं कारणोंवश अपनी रचनात्मकता को जनता तक नहीं पहुंचा पाए। रचनात्मकता को विस्तार देने, उसे निखारने और व्यापक फलक पर प्रदर्शित करने का यह माध्यम निसंदेह अनेक प्रतिभाओं को सामने भी लाया है ।
विभिन्न क्षेत्रों के जुड़े व्यक्ति अपने दृष्टिकोण से इसका उपयोग कर रहे हैं । पिछले कुछ समय से हिंदीभाषी क्षेत्रों में भी ब्लाग की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है हालांकि यह संख्या में अंग्रेजी की अपेक्षा काफी कम हंै। अंग्रेजी में पूरी दुनिया में पांच करोड से ज्यादा ब्लाग हैं जबकि हिंदी में अभी लगभग दस हजार ही ब्लाग हैं । रोजाना लगभग २०-३० नए ब्लाग हिंदी के बन रहे हैं। युवाओं में ब्लाग बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। साथ ही साहित्य, मीडिया, चिकित्सा, कला समेत विविध क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाएं ब्लाग पर अपनी रचनात्मकता के आकार दे रही हैं । बहुत सुंदर और सार्थक चित्रों का उपयोग ब्लाग को मोहक बना रहा है।
साहित्यकारों की समग्र रचनाएं भी ब्लाग पर उपलब्ध हैं । गीत, गजल, कविता, कहानी, लघुकथा लेखन भी ब्लाग पर खूब हो रहा है । मीडिया पर मंथन और विश्लेषण का काम भी ब्लाग जगत में चलता है । कोई ब्लागर विधि संबंधी जानकारी दे रहा है तो कोई चिकित्सा संबंधी समस्याओं के निदान बता रहा है । ज्वलंत विषयों पर समसामयिक टिप्पणी भी ब्लाग पर मौैजूद हैं । युवाओं की चिंताओं और समस्याओं को भी अभिव्यक्त किया जा रहा है ।
निजी भावनाओं को कलात्मक अभिव्यक्ति भी ब्लाग पर मिल रही है । भावनात्मक संबंधों का अनूठा संसार ब्लाग पर बन रहा है। हजारों मील दूर बैठे ब्लागर परस्पर भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं । हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार का काम भी इस विधा के माध्यम से हो रहा है । देश की सीमा ब्लाग लेखन में बाधा नहीं बनती । यही वजह है कि अनेक नामचीन लोग अब ब्लाग लेखन में रुचि ले रहे हैं । पिछले लोकसभा चुनाव में अनेक प्रत्याशियों ने अपनी बात जनता तक पहुंचाने का माध्यम ब्लाग को भी बनाया ।
वास्तव में ब्लाग का अगर सही दिशा में सार्थक उपयोग किया जाए तो यह ज्ञान के विस्तार, रचनात्मकता की अभिव्यक्ति और अपनी भावनाएं जनमानस तक पहुंचाने का तीव्र और प्रभावशाली माध्यम है । भारत में जिस तरह से कंप्यूटर और इंटरनेट का उपयोग बढ़ रहा है, उससे ब्लाग लेखन में अपार संभावनाएं जागृत हो रही हैं। चंडीगढ़ जैसे और भी कई सकारात्मक प्रयोग ब्लाग के माध्यम से संभव होंगे ।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)