Sunday, September 29, 2013

वर्धा में ब्लाग पर महामंथन से निकले विचार कलश


प्रो. डा. अशोक कुमार मिश्र
वर्धा में 20-21 सितंबर 2013 को अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय परिसर में हिंदी ब्लागिंग और सोशल मीडिया विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला एवं सेमिनार कई मायनों में बड़ी महत्वपूर्ण रही। श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी के संयोजन में हुई इस संगोष्ठी में हिंदी ब्लाग और सोशल मीडिया से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर हुए महामंथन से कई एसे विचार निकलकर सामने आए जिन्होंने न केवल ब्लाग लेखन के उज्ज्वल भविष्य को रेखांकित किया बल्कि इसकी महत्ता को स्थापित करते हुए इसे आम आदमी की अभिव्यक्ति का सबसे ताकतवर हथियार भी बताया। यह तथ्य भी सामने आया कि सोशल मीडिया हर वर्ग को गहराई से प्रभावित कर रहा है। नई पीढ़ी हो या बुजुर्ग समुदाय सभी ब्लाग और सोशल मीडिया से जुड़कर संवाद स्थापित कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से समसामयिक मुद्दों पर अपनी वैचारिक अभिव्यक्ति कर रहे हैं।
विभूति नारायण राय ने किया हिंदी ब्लागिंग के भविष्य के प्रति आश्वस्त
यह सम्मेलन एसे समय में आयोजित किया गया जब फेसबुक और ट्विटर के बढ़ते प्रभाव से हिंदी ब्लागिंग के पिछड़ने की आशंका उभरकर सामने आ रही थी। समापन सत्र में कुलपति विभूति नारायण राय ने इस आशंका को सिरे से खारिज कर दिया। हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार विभूति नारायण राय ने कहा कि जब अखबार आया तो लोगों ने इसी प्रकार की आशंका जाहिर करते हुए कहा था कि अब फिक्शन खत्म हो जाएगा। जब लोगों को रोजाना नई घटनाएं पढ़ने को मिल जाएंगी तो फिर काल्पनिक शब्द संसार में लोगों की रुचि खत्म हो जाएगी लेकिन एसा कुछ नहीं हुआ। इलेक्ट्रानिक मीडिया आया तो अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं के इतिहास बन जाने की आशंका उभरी लेकिन वस्तुस्थिति इसके विपरीत रही। आज जितनी पत्रिकाएं छप रही हैं, उतनी पहले कभी नहीं छपीं। इसी तरह फेसबुक और ट्विटर के आ जाने से हिंदी ब्लागिंग का कोई नुकसान नहीं होने वाला है। हिंदी ब्लागिंग का भविष्य उज्ज्वल है।
ब्लाग एग्रीगेटर की संभावनाओं से शुरू हुआ उद्घाटन सत्र
हबीब तनवीर सभागार में सुबह 10 बजे शुरू हुए उद्घाटन सत्र में कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि विश्वविद्यालय हिंदी ब्लागिंग के लिए एक एग्रीगेटर उपलब्ध कराएगा। समापन सत्र में इसके लिए 15 अक्टूबर की समय सीमा भी निर्धारित की गई। यह इस संगोष्ठी की महत्वपूर्ण उपलिब्ध है। दरअसल चिट्ठाजगत और ब्लागवाणी जैसे एग्रीगेटर बंद होने से ब्लाग लेखक एक लोकप्रिय और प्रभावशाली एग्रीगेटर की आवश्यकता महसूस कर रहे थे, विश्वविद्यालय का एग्रीगेटर उसी आवश्यकता की पूर्ति करेगा, यह उम्मीद सभी ब्लागरों को है। नरेश सक्सेना द्वारा रचित कुलगीत से शुरू हुए इस सत्र में संयोजक श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कार्यशाला और सेमिनार की महत्ता को रेखांकित किया। कार्तिकेय मिश्र ने विषय प्रवर्तन किया जबकि प्रवीण पांडेय ने हिंदी ब्लागिंग के विविध पक्षों को उठाया। प्रति कुलपति अरविंदाक्षन और प्रो, अनिल कुमार राय ने भी संबोधित किया।
ब्लाग, फेसबुक और ट्विटर की तिकड़ी के समीकरणों पर विचार
पहले सत्र में प्रवीण पांडेय, सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, अविनाश वाचस्पति, संतोष त्रिवेदी, बलिराम धाप्से और अरविंद मिश्र ने इस बात को स्थापित किया कि फेसबुक और ट्विटर की अपेक्षा ब्लाग लेखन में अधिक गंभीरता है। तीनों की अलग महत्ता है। ब्लाग पर लेखन में विषय को विस्तार दिया जा सकता है जबकि  ट्विटर पर शब्द सीमा निर्धारित है। इस सत्र का संचालन किया अनूप शुक्ल ने।
विद्यर्थियों ने सीखी ब्लाग बनाने की तकनीक
रिमझिम बारिश के बीच विश्वविद्यालय की कंप्यूटर लैब में विद्यर्थियों ने ब्लाग बनाने की तकनीक सीखी। आलोक कुमार, विपुल जैन, शैलेश भारतवासी और ब्लागरों ने छात्र-छात्राओं को ब्लाग बनाने के गुर बताए। अनेक विद्यर्थियों ने ब्लाग बनाकर पहली पोस्ट लिखी। बच्चों की अनेक जिज्ञासाओं का ब्लागरों ने समाधान किया।
तीसरे सत्र में सोशल मीडिया और राजनीति के रिश्ते पर मंथन
मौजूदा दौर में सोशल मीडिया ने राजनीति को बहुत गहराई से प्रभावित किया है। अनेक राजनीतिज्ञ जनता में अपनी पैठ बनाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। पेड पोस्ट का मुद्दा भी इसी सत्र में उठाया गया। कार्तिकेय मिश्र, संजीव तिवारी, पंकज झा, संजीव सिन्हा. अनूप शुक्ल, अनिल रघुराज और शकुंतला शर्मा ने सोशल मीडिया के राजनीतिक प्रभाव का विश्लेषण किया। संचालन हर्षवर्धन त्रिपाठी ने किया।
दूसरे दिन चौथे सत्र में हिंदी ब्लागिंग और साहित्य से जुड़े पक्ष उभरे
साहित्य के कितने आयामों को छू रहा है हिंदी ब्लाग। दूसरे दिन के चौथे सत्र में इस विषय पर बोलते हुए डा. अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि ब्लाग ने आम आदमी लेखन और प्रकाशन का अधिकार दे दिया है। वह स्वयं अपनी लिखी रचनाएं ब्लाग पर प्रकाशित कर विशाल जनसमूह तक पहुंचा सकता है। इससे रचनात्मकता का विकास हुआ है। अनेक विधाएं समृद्ध हुई हैं। ब्लाग साहित्य के विविध आयामों को प्रखरता प्रदान कर रहै। इसी सत्र में ब्लाग विधा है या माध्यम पर बहस हुई और निष्कर्ष निकला कि ब्लाग लेखन का माध्यम है। अविनाश वाचस्पति, अरविंद मिश्र, ललित शर्मा, शकुंतला शर्मा, डा. प्रवीण चोपड़ा और वंदना अवस्थी दुबे ने इस विषय पर विचार रखे। इसके बाद तकनीकी सत्र में विकीपीडिया पर सामग्री संपादित करने और पेज बनाने की जानकारी दी गई।   
समापन सत्र में खुली चर्चा
मनीषा पांडे ने अंतिम सत्र में स्त्री विमर्श से जुडे मुद्दों को प्रभावशाली ढंग से उठाते हुए शिक्षा, विवाह और जीवन के महत्वपूर्ण फैसले लेने की स्वतंत्रता महिलाओं को दिए जाने की वकालत की। कुलपति विभूति नारायण राय ने ब्लागरों से लेखन में विविधता लाने पर जोर दिया। प्रो. अनिल राय अंकित ने विचार रखे। संचालन किया सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने।