Saturday, July 31, 2010

उफ ! फीस न दे पाने और स्कूल में पोंछा लगवाने पर छात्रा ने जान दी

-डॉ. अशोक प्रियरंजन
सहारनपुर के नागल क्षेत्र के भलस्वा गांव में हुई १३ साल की लक्ष्मी की खुदकुशी की घटना न केवल हर आदमी को झकझोरने वाली है, बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था और सरकारी सुविधाओं की पोल भी खोलती है। अभी तक मासूम लक्ष्मी की मौत के पीछे जो कारण बताए रहे हैं, वह हमारी व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करते हैं। बताया जा रहा है कि तीसरी कक्षा की छात्रा लक्ष्मी को फीस न लाने के लिए स्कूल में प्रताडि़त किया गया था। दूसरा कारण ये बताया जा रहा है कि उससे स्कूल में जबरन झाड़ू पोंछा लगवाया जाता था। दरअसल लक्ष्मी का परिवार मुफलिसी का शिकार था। उसका पिता पांच साल से लापता है। आर्थिक संकट के चलते लक्ष्मी की मां रेनू स्कूल की फीस नहीं दे पा रही थी। यह भी गरीबी और सामाजिक रूप से कमजोर होने का ही नतीजा था कि घटना के बाद मौके पर जिलाधिकारी तो पहुंचे लेकिन मामले की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।
यह घटना इस बात की पोल खोलती है कि गरीबों को पढ़ाई का सपना पूरा करना आसान नहीं है। गरीबी के चलते ही न केवल उन्हें अपमानजनक और तिरस्कारपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है बल्कि कई किस्म की लड़ाइयां रोजमर्रा की जिंदगी में लडऩी पड़ती हैं। यही कारण हैं कि मासूम आंखों के सपने आकार लेने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। जरूरी है कि सरकार ऐसा माहौल बनाए कि हर आंख में सपने सजें और वह पूरे भी हों।
( फोटो गूगल सर्च से साभार )

Wednesday, July 28, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी प्रयोग के लिए होगा संघर्ष, प्रस्ताव पारित

-डॉ. अशोक प्रियरंजन
नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 27 जुलाई की शाम जुटे हिंदीप्रेमियों ने एक स्वर में राष्ट्रमंडल खेलों में राजभाषा हिंदी का प्रयोग किए जाने के लिए संघर्ष करने का फैसला किया। इसे राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न मानकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीयता की पहचान को प्रखर बनाने के लिए सर्वसम्मति से कुछ प्रस्ताव पारित किए गए। राजभाषा समर्थन समिति मेरठ, अक्षरम एवं वाणी प्रकाशन की ओर से आयोजित गोष्ठी पारित प्रस्ताव निम्नांकित हैं-
1. राजभाषा समर्थन समिति मेरठ एवं अक्षरम के संयोजन में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिंमंडल जिसमें सांसद, पत्रकार, साहित्यकार शामिल होंगे गृहमंत्री, गृहराज्यमंत्री, दिल्ली की मुख्यमंत्री, राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष, खेल मंत्री से मुलाकात कर राजभाषा हिंदी के प्रयोग का प्रश्न उनके संज्ञान में लाएगा।
2. संसद व मीडिया में इस प्रश्न को उठाने के लिए सांसदों तथा मीडियाकर्मियों से संपर्क किया जाए।
3. राष्ट्रमंडल खेलों की वेबसाइट हिंदी में तुरंत बनाई जाए।
4. दिल्ली पुलिस और नई दिल्ली नगरपालिका द्वारा सभी नामपट्टों व संकेतकों में हिंदी का भी प्रयोग हो ।
5. राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान वितरित की जाने वाली सारी प्रचार सामगी हिंदी में भी तैयार की जाए।
6. राष्ट्रमंडल खेलों के आंखों देखे हाल के प्रसारण की व्यवस्था हिंदी में भी हो।
7. पर्यटकों व खिलाडियों के लिए होटलों व अन्य स्थानों हिंदी की किट भी वितरित की जाए।
8. उदघाटन व समापन समारोह भारत की संस्कृति व भाषा का प्रतिबिम्बित करते हों। सांस्कृतिक कार्यक्रम देश की गरिमा के अनुरूप हों। राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री व अन्य प्रमुख लोग अपनी भाषा में विचार व्यक्त करें।
9. राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी के प्रयोग के लिए एक जनअभियान चलाया जाए और सरकार द्वारा सुनवाई न किये जाने पर जंतरमंतर व अन्य स्थानों पर धरने व प्रदर्शन की योजना बनाए जाए।
10. इस अवसर का उपयोग करते हुए राष्ट्रमंडल के देशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए।
कार्यक्रम में डॉ. रत्नाकर पांडेय , कलराज मिश्र, हुक्मदेव नारायण यादव, प्रदीप टमटा , राजेन्द्र अग्रवाल ( सांसद) पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक, रामशरण जोशी, साहित्यकार डॉ. गंगा प्रसाद विमल, कमेट्रेटर जसदेव सिंह, रवि चतुर्वेदी, हिंदी सेवी महेश शर्मा, नारायण कुमार, प्रो. नवीन चंद्र लोहनी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। गोष्टी का संयोजन अक्षरम के अध्यक्ष अनिल जोशी ने किया।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)

Friday, July 23, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी का परचम फहराने को उठे हाथ

-डॉ. अशोक प्रियरंजन
राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर सभी भारतवासी उत्साहित हैं। इन खेलों से देश का गौरव बढ़ेगा। बड़ी संख्या में आने वाले विदेशी मेहमानों को भारतीय संस्कृति से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा। ऐसे में जरूरी है कि वह यहां की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा हिंदी से भी साक्षात्कार करें। इसकेलिए जरूरी है कि राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी समस्त भाषिक सामग्री हिंदी में भी उपलब्ध हो। इसकेलिए एकजुट होकर प्रयास होने चाहिए। मेरठ से बीती सात जुलाई को राजभाषा समर्थन समिति ने इसकेलिए मुहिम शुरू की। विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी के प्रयासों से बृहस्पति भवन में आयोजित कार्यक्रम में सांसद राजेंद्र अग्रवाल समेत अनेक हिंदी प्रेमी वक्ताओं ने राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी को बढ़ावा देने की मांग जोरदार तरीके से उठाई।
अब २७ को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सम्मेलन
दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में २७ जुलाई को सायं साढ़े पांच बजे आयोजित हिंदीसेवियों के सम्मेलन में इस मुहिम को आगे बढ़ाने की रणनीति बनेगी। समिति ने ज्यादा से ज्यादा लोगों से आयोजन में शामिल होने की अपील की है।
मुख्य मांग
खेलों में हिन्दी भाषा का प्रयोग विज्ञापनों/होर्डिंग्स/सरकारी प्रपत्रों तथा आयोजक संस्थाओं द्वारा अनिवार्यत: किया जाए, जिससे देश की गरिमा का आभास दुनियाँ को हो। न्यूयार्क में संपन्न आठवें अन्तरराष्ट्रीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ करने तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने का अभियान प्रमुखता से लिया गया था । यह अवसर है कि हम उस विशिष्ट अवसर पर लिए गए संकल्प को लागू कराएँ।
राष्ट्रमण्डल खेल और हिन्दी की संभावनाएं
1. जब चीन में ओलंपिक खेलों के दौरान चीनी भाषा का प्रयोग हो सकता है तो भारत में आयोजित खेलों की नियमावली और होर्डिंग्स, सूचनाओं का आदान-प्रदान, प्रसारण तथा सरकारी एवं आयोजक संस्थाओं के प्रपत्रों का लेखन हिन्दी में क्यों नहीं हो सकता।
2. आयोजन में आने वाले गैर हिन्दी भाषी खिलाडिय़ों और प्रतिनिधियों को अनुवादक उपलब्ध कराए जा सकते हैं। जैसा कि प्राय: हर अन्तरराष्ट्रीय आयोजन में अन्य भाषा-भाषी लोग करते हैं।
3. राष्ट्रमण्डल खेलों में हिन्दी के प्रयोग द्वारा हम भारत की छवि को पूरी दुनियाँ के सामने मजबूती के साथ स्थापित कर सकते हैं।
4. यदि हम राष्ट्रमण्डल खेलों में हिंदी प्रयोग करते हैं तो अनुवादकों की आवश्यकता पड़ेगी। इससे अनुवादकों को रोजगार प्राप्त होगा।
5. राष्ट्रमण्डल खेल हिन्दी भाषा के लिए बड़ी संभावनाओं को खोल सकते हैं, अगर हम हिंदी का इन खेलों के दौरान अधिक से अधिक प्रयोग करेंगे। इससे विदेशी लोगों का भी हिन्दी के प्रति आकर्षण बढ़ेगा तथा इससे हिंदी के शिक्षण, पठन-पाठन की विदेशों में भी संभावनाएं बढ़ेंगी।
6. अनुच्छेद 344 के अनुसार राष्ट्रपति हिंदी भाषा की बेहतरी के लिए भाषा आयोग का गठन करेंगे। राष्ट्रमण्डल खेल भारत में हो रहे हैं, परन्तु हिन्दी भाषा को संवर्धित करने के लिए संविधान में दी गई भाषा संबंधी व्यवस्था का पालन नहीं हो रहा है, ऐसे में जरूरी है कि जन जागृति द्वारा प्रबुद्ध नागरिक राष्ट्रमण्डल खेलों में हिन्दी के प्रयोग को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित करें।
7. राष्ट्रमण्डल खेलों में हिन्दी के प्रयोग द्वारा हम उस रूढ़ मानसिकता पर भी चोट कर सकते हैं जो अंग्रेजी के प्रयोग द्वारा निज विशिष्टता सिद्ध करती रही है, यह हिंदी के भूगोल और मानसिकता को परिवर्तित करने का अवसर भी है।
समिति संपर्क सूत्र
राजभाषा प्रयोग के इस क्रान्तिकारी अभियान को परिणाम तक पहुँचाने के लिए राजभाषा समर्थन समिति व्यापक जनसहयोग चाहती है। आयोजन से जुड़े हुए सरकारी विभागों एवं संस्थाओं से भी आग्रह किया जाना चाहिए। समिति समपर्क सूत्र हैं -
नवीन चन्द्र लोहनी एवं समस्त साथी, राजभाषा समर्थन समिति,
हिन्दी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ (उ0 प्र0) मो.नं. 09412207200/09412885983/9758917725/9258040773/9897256278