Sunday, July 26, 2009

इन देशभक्त महिलाओं के जज्बे को सलाम

-डॉ. अशोक प्रियरंजन
२५ जुलाई को १७८ महिलाओं ने देश में नया इतिहास रच दिया। इस दिन पहली बार सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में शामिल होने के लिए १७८ महिला जवानों के फस्र्ट बैच ने होशियारपुर के गांव खड़कां स्थित सहायक प्रशिक्षण केंद्र में पास आउट किया । यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि अब इन महिला जवानों के केकंधों पर देश की सीमाओं की सुरक्षा करने की महती जिम्मेदारी होगी । पिछले साल ११ जून को जब सुरक्षा बल के जालंधर स्थित मुख्यालय में महिला जवानों भरती आयोजित की गई थी तब भी महिलाओं के देशभक्ति के जज्बे की मिसाल सामने आई थी । यह गौरव का विषय है कि विषम परिस्थितियों में फौजी दायित्वों को निभाने केलिए साढ़े आठ हजार महिलाओं ने आवेदन किया था । इनमें से ही ४८० का चयन किया गया था। इनका प्रशिक्षण गत वर्ष १० नवंबर से शुरू हुआ था और ३६ सप्ताह के कड़े प्रशिक्षण के बाद अब यह जवान तैनाती के लिए तैयार हैं । इन कांस्टेबल को मुख्यत: ५५३ किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान सीमा पर मौजूद ३०० गेटों पर गेट के आरपार आने जाने वाली महिलाओं की तलाशी के लिए तैनात किया जाएगा । इसके अलावा जरूरत के अनुसार बीएसएफ के सामान्य कामों, आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी और आतंकवाद निरोधी आपरेशन में भी तैनात किया जाएगा ।
यह एक सुखद संकेत है कि फौज के प्रति लड़कियों का रुझान बढ़ रहा है । इसी केचलते अनेक छात्राएं एनसीसी कैडेट के रूप में प्रशिक्षण लेती हैं । सैन्य बलों में पिछले कुछ समय में बड़ी संख्या में हुई महिलाओं की भर्ती भी इसी का उदाहरण हैं । कुछ साल पहले तक सैन्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी नहीं होती थी। वे खुद भी इसे करियर के विकल्प के तौर पर नहीं लेती थीं। महिलाओं को शिक्षा, बैंकिग और सरकारी सेवा आदि क्षेत्र रोजगार केलिए बेहतर विकल्प लगते थे । लेकिन अब परिवेश बदला है। महिलाएं जोखिम भरे क्षेत्रों को भी सेवा और करियर केरूप में अपनाने लगी है। यही महिलाओं भविष्य में दुश्मनों केदांत खट्टे करके रानी झांसी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियों की पुनरावृत्ति करेंगी । दरअसल, सैन्य बलों में वही महिलाएं भर्ती हो पाती हैं जिनमें देशसेवा का जज्बा होता है । बीएसएफ में भर्ती होने वाली इन महिलाओं में निसंदेह यह जज्बा है, इसीलिए ही उन्होंने करियर केरूप में यह विकल्प चुना है । इनके इस शानदार जज्बे को सलाम ।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)

17 comments:

Smart Indian said...

वीरांगनाओं को सलाम. वैसे स्वतंत्र भारत की पहली महिला बटालियन १९८७ में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस में बनी थी और उन वीरांगनाओं ने भारत और बाहर यथा श्रीलंका आदि में अपनी वीरता का लोहा मनवाया है.

Udan Tashtari said...

सलाम!!

शोभना चौरे said...

sbhi mhila javano ko badhai aur shubhkamnaye .

इरशाद अली said...

Bahut Khub, Dr. Saab. Meerut Main kaha par hae aap

RADHIKA said...

सलाम !

kalaam-e-sajal said...

महत्त्वपूर्ण जानकारी। दरअसल महिलाओं को जिस्मानी रूप से कम आंकना ठीक नहीं। उनमे jazbe की भी कोई कमी नहीं। बस चाहिए एक सही मौका, वे घर के फ्रंट पर ही नहीं देश के फ्रंट पर भी कामयाब होंगी, ऐसा मेरा विशवास है।
डॉ जगमोहन राय

jamos jhalla said...

hue mehnge bahut chiraag |
chotaa chitaa likhaa karo||
isi kadi main indiraa gandhi ki bal senaa [2]jhansi ki raani[3] se lekar razia sultaanaa aadi ko bhi jodaa jaa saktaa hai.

स्वप्न मञ्जूषा said...

अरे वाह !!! ये हुई न कोई बात, अब ये कहने वाले कहाँ जायेंगे " कलाई चूडियों का बोझ उठा नहीं पाति और कहते हैं की हम तलवार चलाएंगे'
हाँ आपको सलूट करते हैं..
जय हिंद..

रज़िया "राज़" said...

बहेतरीन पोस्ट के लिये धन्यवाद।

Meenu Khare said...

बहुत अच्छी पहल.विश्वास है कि यह एक नया अध्याय रचेगी भारत की बेटियोँ के वास्ते.एक रेडियो प्रोड्युसर की हैसियत से मैने भी अनाम भारतीय वीराँगनाओँ की सच्ची जीवन गाथा पर आधारित एक रेडियो सीरियल बनाया है " गदर की चिंगारियाँ". इसके अलावा " हम भारत की बेटी" नामक सीरियल भी मेरी तरफ से श्रद्धाँजलि है भारत माता की इन बेटियोँ के लिए.

अशोक जी भले ही कमेंट मैने पहली बार लिखा है पर आपका ब्लॉग पहले भी पढ्ती रही हूँ और यह मेरे ब्लॉग पर फेवरेट ब्लॉग के रूप में अंकित भी है.

Akshitaa (Pakhi) said...

Salute !!


पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!

Mumukshh Ki Rachanain said...

इन दुर्गा नंदिनियों को मेरा भी सलाम. अब शायद कुछ नया देखने को मिले...............

वीरांगनाओं की जानकारी के लिए शुक्रिया

दिगम्बर नासवा said...

ऐसी virangnaaon को salaam है hamaara ........ऊर्जा भरी post है आपकी .........

अनूप शुक्ल said...

हमारा भी सलाम!

vijay kumar sappatti said...

desh ki bahadur mahilao ko mera salaam hai sir ji .. ye bhi ek baat hai ki mahilaaye hoti hi bahadoor hai ...

aabhar

vijay

pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com

pooja joshi said...

its realy very awesome post

pooja joshi said...

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