Sunday, October 26, 2008

हुआ तिमिर का देश निकाला दीपक जलने से


-डॉ. अशोक प्रियरंजन
सोने जैसा हुआ उजाला दीपक जलने से,
भाग गयाअँधियारा काला दीपक जलने से ।

आंगन आंगन, बस्ती बस्ती और सभी चौबारों पर,
सजती मोती जैसी माला दीपक जलने से ।

चमक उठे घर देहरी आंगन और गांव की चौपालें,
जगमग मन्दिर और शिवाला दीपक जलने से ।

ज्ञानोदय करने को निकली रूपहली िकरणें अंबर से,
हुआ तिमिर का देश िनकाला दीपक जलने से ।

मस्ती खुशबू, रुप सलोना और नए मीठे कुछ सपने,
जीवन बन जाता मधुशाला दीपक जलने से ।

सोने जैसी रातें लगती चांदी जैसे िदन सारे,
खुला खजाने का ताला दीपक जलने से ।

शब्दों से संगीत निकलता मन की वीणा पर रंजन,
समां गजल का बंधानिराला दीपक जलने से

(फोटो गूगल सर्च से साभार )

44 comments:

Vivek Gupta said...

सुंदर कविता | आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

सचिन मिश्रा said...

Bahut badiya. aap ko diwali ki hardik subhkamnayein.

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन रचना है.

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/

Smart Indian said...

कविता बहुत अच्छी लगी. दीप जलाए, जग में प्रकाश फैलाएं, मम्मन खान पहलवान के पेड खाएं. आपको दीवाली की बहुत बधाई!

योगेन्द्र मौदगिल said...

आपके परिवार, मित्रों एवं ब्लाग-मंडली को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
-yogendra moudgil n family

अविनाश वाचस्पति said...

कविता में

दीपक ही दीपक

और उजाला ही

भरपूर उजाला है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर कविता। दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

कविता पसँद आई - आपको दीपावली पर स - परिवार शुभकामनाएँ

seema gupta said...

दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

sandeep sharma said...

सोने जैसा हुआ उजाला दीपक जलने से,
भाग गया अंिधयारा काला दीपक जलने से ।

ज्ञानोदय करने को िनकली रूपहली िकरणें अंबर से,
हुआ ितिमर का देश िनकाला दीपक जलने से ।

खुबसूरत लाइने.. बधाई...

आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये।

शोभा said...

आंगन आंगन, बस्ती बस्ती और सभी चौबारों पर,
सजती मोती जैसी माला दीपक जलने से ।
vaah bahut sundar. deepawali ki shubh kamnayen.

कंचन सिंह चौहान said...

sundar...! Deepawali ki shubhkamane.n

संतोष अग्रवाल said...

अशोक जी, इतनी अच्छी कविता लिखने के लिए बहुत-बहुत बधाई. आपको और आपके परिवार को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ. वैसे आज के जो हालात है उस पर तो मैं यही कहूँगा....
ऐसी घनघोर मंदी ने
बड़ी मुश्किल में डाला है
समझ में आ नही रहा मुझको
दिवाली है...दिवाला है ??

art said...

दीपावली की हार्दिक मंगलकामनाएं...

jamos jhalla said...

Bhartiyon ne India par aaye Mandi ke andhkaar se fight karne ke liye 55 ton gold khareed kar diwaali manayi lekin aapne to ek sringaar ras se bhari kavitaa ke madhyam se yeh karya kar diyaa he| Bhadhaai |in deepon ki bhanti hi aapke parivaar me deepavali ki khushiyaan chamken

BrijmohanShrivastava said...

अति सुंदर रचना /दीवाली मंगलमय हो

निर्मल गुप्त said...

aapki khoobsoorat ghazal padhi.laga lo deepawali aik din poorv aagaye hai.happy deepawali.nirmal

betuki@bloger.com said...

कविता पसंद आयी। आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

betuki@bloger.com said...

कविता पसंद आयी। आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

संगीता-जीवन सफ़र said...

ज्ञानोदय करने को निकली रूपहली किरणें अंबर से,हुआ ति्मिर का देश निकाला दीपक जलने से।
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति है/दीपोत्सव के इस पावन पर्व पर आपको और आपके परिवार को शुभकामनायें/

Dr. Amar Jyoti said...

दीपावली का सारा उल्लास मुखरित हो उठा है आपकी रचना में। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

sandhyagupta said...

aapki kavita diwali me jalte deepak ke samaan. Badhai.

guptasandhya.blogspot.com

Unknown said...

बेहतरीन रचना। हमें अपने दिल के अंधकार को दूर कर सबकी खूशी में शरीक होना चाहिये। यही सच्ची दिवाली है। मेरे पूरे परिवार की तरफ से सारे ब्लागर्स जगत को शुभ दीपावली।

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छी रचना। आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

श्यामल सुमन said...

अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ।
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ।
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक,
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ।।

दीपावली की शुभकामनाएँ।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

आपको सपरिवार दीपोत्सव की शुभ कामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें। यही प्रभू से प्रार्थना है।

Anonymous said...

निर्मल जी ने एक दिन पहले पढ़ी तो उन्‍हें एक दिन पहले दीपावली लगी और मेरा दुर्भाग्‍य है कि मैं दीपावली के एक दिन बाद पढ़ रहा हूं।
कामना है कि आप इसी तरह शब्‍दों के दीप जलाते रहें।

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

सुंदर। दीपावली की शुभकामनायें आपको।

शारदा अरोरा said...

'दीपक जलने से 'आपकी मन की वीणा के स्वर झंकार बन गए हैं |
मन मन्दिर में जला ज्ञान का दीपक
प्रेम प्रदीप्त लौ का यूँ हुआ उजाला ,दीपक जलने से

Dr.Bhawna Kunwar said...

Bahut achi rachna ke liye aapko dher sari badhai..dipavali ki anekon shubhkamnayen aapko aapke parivalon sahit..

शारदा अरोरा said...
This comment has been removed by the author.
sarita argarey said...

दीपोत्सव की भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बधाई ।

रेखा श्रीवास्तव said...

bahut achchha likha aapane. dipak se yadi prerana li jaaye to timir kahin rah hi na jaaye.

Dipawali par meri hardik shubhkaamanaayen.

प्रदीप मानोरिया said...

सुंदर रचना अद्भुत शब्द प्रवाह

Vineeta Yashsavi said...

Vakay behed khubsurat kavita likhi hai apne.
Deepawali ki apko sapriwaar shubhkamnaye.

विधुल्लता said...

आपकी कविता मैं एक उत्सवी सौंधी खुशबू है सीधी सरल भाषा मन मोहती है,शुभ कामनाएं,

Unknown said...

sundar kavita ke liye badhai.....
thoda ashirwad hamare blog ko bhi dain .......

अभिषेक मिश्र said...

ज्ञानोदय करने को िनकली रूपहली िकरणें अंबर से,
हुआ ितिमर का देश िनकाला दीपक जलने से ।
कमाल की उपमा प्रयुक्त की आपने.

सोने जैसा हुआ उजाला दीपक जलने से,
भाग गया अंिधयारा काला दीपक जलने से ।
कविता के बारे में आपके आगे मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं, किंतु यदि 'उजाला' और 'काला' के बाद कोमा(,) आदि जैसे किसी विभाजक चिह्न का प्रयोग करते तो हमारे जैसे पाठक पहली बार कविता पढ़ते हुए लड़खराते नहीं. ससम्मान.

प्रदीप मानोरिया said...

मस्ती खुशबू, रुप सलोना और नए मीठे कुछ सपने,
जीवन बन जाता मधुशाला दीपक जलने से ।
बहुत सुंदर

Alpana Verma said...

bahut hi sundar kavita--diwali ke deepak si jagmagati

रंजना said...

ज्ञानोदय करने को िनकली रूपहली िकरणें अंबर से,
हुआ ितिमर का देश िनकाला दीपक जलने से ।

Waah ! bahut sundar panktiyan rachin aapne.

रज़िया "राज़" said...

सोने जैसा हुआ उजाला दीपक जलने से,
भाग गयाअँधियारा काला दीपक जलने से
शब्दों से संगीत निकलता मन की वीणा पर रंजन,
समां गजल का बंधानिराला दीपक जलने से ।
bahot hi positive vichar Ashokvichar ke.

Prakash Chandra said...

बहुत सुंदर कविता | आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

Madan Mohan Saxena said...

ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/